Saturday, 28 January 2023

Shri Margabandhu Stotram in Sanskrit

मार्गबंधु स्तोत्रं | मार्गबंधु स्तोत्रम्

सूचना यह महान स्तोत्र रत्न अप्पय्या दीक्षिता (1520-1593) द्वारा लिखा गया था। वे आदि शंकर के बाद अद्वैत सिद्धांत के सबसे बड़े व्याख्याकार थे।यह स्तोत्र तमिलनाडु के दक्षिण अर्कोट जिले के वेल्लोर के पास विरिंचिपुरम के भगवान मार्गबंधु की स्तुति में लिखा गया है। यात्रा करने वाले व्यक्ति को यात्रा से पहले, यात्रा के दिन और यात्रा समाप्त होने के बाद इसका पाठ करना चाहिए। मार्गबंधु के रूप में भगवान शिव हमेशा उनके साथ रहेंगे और उनकी रक्षा करेंगे।

शंभो महादेव शिव शम्भो महादेव देव शिव शंभो शंभो महादेव देव...शंभो महा देव देव, शिव शंभो महा देव देवसा शंभो, शंभो महादेव देव l

मार्गबन्धुस्तोत्रम् अप्पय्यदीक्षितेन्द्रैः विरचितम्

श्रीमार्गबन्धुपञ्चरत्नमाला अथवा पञ्चरत्नस्तवं मार्गबन्धुस्तोत्रम् ।

फालावनम्रत्किरीटं फालनेत्रार्चिषा दग्धपञ्चेषुकीटम् । शूलाहतारातिकूटं शुद्धमर्धेन्दुचूडं भजे मार्गबन्धुम् । शम्भो महादेव देव, शम्भो महादेव देवेश शम्भो ॥ १॥

अङ्गे विराजद्भुजङ्गं अभ्रगङ्गातरङ्गाभिरामोत्तमाङ्गम् । ओंकारवाटीकुरङ्गं सिद्धसंसेविताङ्घ्रिं भजे मार्गबन्धुम् । शम्भो महादेव देव, शम्भो महादेव देवेश शम्भो ॥ २॥

नित्यम् चिदानन्दरूपं निह्नुताशेषलोकेशवैरिप्रतापम् । कार्तस्वरागेन्द्रचापं कृत्तिवासं भजे दिव्यसन्मार्गबन्धुम् । शम्भो महादेव देव, शम्भो महादेव देवेश शम्भो ॥ ३॥

कन्दर्पदर्पघ्नमीशं कालकण्ठं महेशं महाव्योमकेशम् । कुन्दाभदन्तं सुरेशं कोटिसूर्यप्रकाशं भजे मार्गबन्धुम् । शम्भो महादेव देव, शम्भो महादेव देवेश शम्भो ॥ ४॥

मन्दारभूतेरुदारं मन्दरागेन्द्रसारं महागौर्यदूरम् । सिन्दूरदूरप्रचारं सिन्धुरजातिधीरं भजे मार्गबन्धुम् । शम्भो महादेव देव, शम्भो महादेव देवेश शम्भो ॥ ५॥ 

अप्पय्ययज्ज्वेन्द्र गीतं स्तोत्रराजं पठेद्यस्तु भक्त्या प्रयाणे । तस्यार्थसिद्धिं विधत्ते मार्गमध्येऽभयं चाशुतोषो महेशः । (अप्पय्ययमखिवर्यरचितं पञ्चरत्नस्तवं मार्गबन्धोरुदारम् । नित्यं पठेद्यस्तु भक्त्या तस्य मुक्तिः करस्यैव सायुज्यरूपम् ) l शम्भो महादेव देव, शम्भो महादेव देवेश शम्भो ॥ ६॥

इति श्रीअप्पय्यदीक्षितेन्द्रैः विरचितं मार्गबन्धुस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।

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